अध्याय पाँच: पूजा-पाठ, प्रार्थना और हमारा निजी जीवन

प्रार्थना का जीवन ईश्वर में हमारा व्यक्तिगत, सचेतन जीवन है, क्योंकि सब कुछ, हमारा अस्तित्व और हमारी गतिविधि, इसमें प्रवेश करती है। हमारा संपूर्ण जीवन और परमेश्वर के साथ संबंध […]

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