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كان لرجلٍ اسمه قاريون ولدٌ صغير اسمه Захария، هذا أتى إلى الإسقيط وترهب به ومعه ابنه. وقد ربى ابنه هناك وعلَّمه بما ينبغي. وكان الصبيُ جميلَ الخلقةِ وحسنَ الصورةِ جداً. فلما شبَّ حدث بسبِبه تذمرٌ بين الرهبان. فلما سمع الوالدُ بذلك Той каза لابنِه: «يا Захария هيا بنا نمضي من ها هنا لأن الآباءَ قد تذمروا بسببك». فأجاب الصبيُ أباه قائلاً: «يا أبي إن الكلَّ ها هنا يعرفون أني ابنك، ولكن إن مضينا إلى مكانٍ آخر فلن يقولوا إني ابنك». И той каза الوالد: «هيا بنا يا ابني نمضي الآن فإن الآباء يتذمرون بسببنا». وفعلاً قاما ومضيا إلى الصعيد، وأقاما في قلاية، فحدث سجسٌ كذلك. فقام الاثنان ومضيا إلى الإسقيط ثانية. فلما أقاما أياماً عاد السجسُ عينُه في أمرِ الصبي. فلما رأى Захария ذلك مضى إلى غدير ماءٍ معدني (كبريتي) وخلع ملابسَه وغطس في ذلك الماءِ حتى أنفِهِ. وأقام غاطساً هكذا عدة ساعات حسب طاقتِه، فلأجل صِغرِ سنِه ونعومةِ جسمِه أصبح جسمُه كلُّه منفّخاً، فتشوَّه وتغيرت ملامحُه. فلما لبس ثيابَه وجاء إلى والدهِ لم يتعرف به إلا بصعوبةٍ. وحدث أن مضى بعد ذلك إلى الكنيسةِ لتناول الأسرار فعرفه القس Изидор، وعندما رآه هكذا تعجَّب مما فعله وТой каза: «إن Захария الصبي جاء في الأحد الماضي وتقرَّب على أنه إنسانٌ، أما الآن فقد صار شبه ملاكٍ».

Той каза مار أفرآم: «إن كانت لك صداقةٌ مع أحدِ الإخوة وانتابتك مضرةٌ بسبب مخالطتك إياه، فأسرع واقطع نفسَك منه، ولستُ أقول لك هكذا أيها الحبيب لتبغضَ الناس، كلا، وإنما لتقطع أسبابَ الرذيلةِ».

ИТой каза أيضاً: «من الخطرِ أن يتواجد صبيٌ في ديرٍ على نظامِ الشركةِ لا سيما إذا كان في هذا الوسط عدمُ ترتيبٍ».

Той каза предчувствие С клетва: «أيُّ راهبٍ يقيمُ مع صبي وتعرَّض بسببهِ لآلامِ الإنسان العتيق، ثم يستمرُ بعد ذلك ويبقيه معه، فإنه يشبه إنساناً حقلُه مضروبٌ بالدودِ».

Той каза أنبا كورش: «إن كان إنسانٌ يقيمُ مع صبي، فإن لم يكن قوياً فإنه سوف يميلُ إلى أسفل، أما إن كان قوياً ولم يهوى إلى أسفل فإنه رغم ذلك لن يستمرَ قائماً».

Той каза أنبا قاريون: «إني بذلتُ أتعاباً كثيرةً بجسدي لكني لم أصل إلى رتبةِ ابني Захария في تواضع العقلِ والسكون».

Беше казано: سأل الأب مقاريوس الكبير مرةً Захария وهو ما زال في حداثةِ سنهِ قائلاً: «قل لي يا Захария، ما هو الراهبُ الحقيقي»؟ قال زكريا: «يا أبي أتسألني أنا»؟ Той каза за него Шейх: «نعم يا ابني Захария، فإن نفسي متيقنةٌ بالروح القدس الذي فيك، أن شيئاً ينقصني يلزم أن أسألك عنه». И той каза له الشابُ: «إن الراهبَ هو ذلك الإنسان الذي يُرذل نفسَه ويُجهد ذاتَه في كلِّ الأمورِ».

Беше казано: أتى أنبا Муса مرة ليستقي ماءً، فوجد أنبا Захария على البئرِ يصلي وروحُ الله حالٌّ عليه. И той каза له: «يا أبتاه قل لي ماذا أصنع لأخلصَ». فما أن سمع الحديثَ حتى انطرح بوجهِه عند رجليه وТой каза له: «يا أبي لا تسألني أنا». Той каза предчувствие Муса: «صدقني يا ابني Захария إني أبصرتُ روحَ الله حالاًّ عليك ولذلك وجدتُ نفسي مسوقاً من نعمةِ الله أن أسألَك». فتناول Захария قلنسوته ووضعها عند رجليه وداسها، ثم رفعها ووضعها فوقَ رأسهِ وТой каза: «إن لم يصر الراهبُ هكذا منسحقاً فلن يخلصَ».

لما حضرت أنبا Захария الوفاة سأله أنبا Муса قائلاً: «أيُّ الفضائلِ أعظم يا ابني»؟ فأجابه: «على ما أراه يا أبتاه، ليس شيءٌ أفضلَ من السكوتِ». И той каза له: «حقاً يا ابني، بالصوابِ تكلمتَ».

وفي وقتِ خروج روحِه كان أنبا Изидор القس جالساً فنظر إلى السماءِ وТой каза: «اخرج يا ابني Захария فإن أبوابَ ملكوتِ السماوات قد فُتحت لك».

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